यह सुनसान रास्ता कितना अनजान है,
मुझे उसी पर चलना पड़ेगा, यह तो ऊपर से आया फरमान है।
सिर्फ एक कदम चला हूं मैं, सोच में डूबा हूं आगे चलूं या ना चलूँ, बस इसीलिए जंजाल में फंसा हूं मैं।
वक्त बीता जा रहा है,
यह अंधेरा घना होता जा रहा है,
मंजिल का तो पता है मुझे,
पर रास्ते से अभी भी अनजान हूं,
डरा हुआ हूं मैं तभी तो बेजुबान हूं।
मंजिल पानी है अगर तो इस डर को निकालना पड़ेगा, सुनसान वह अनजान रास्तों से हाथ मिलाना पड़ेगा।
हाथ मिलाया तो लगा अब मंजिल पर पहुंचना आसान है रूकावटें भी आ रही हैं,
और आती रहेंगी, जिंदगी की यह परिस्थितियां रुलाती रहेगी।
अब तो सुनसान रास्ते से भी हो गई पहचान है, मुझे विश्वास है कि मैं अपनी मंजिल पर पहुंच कर रहूंगा क्योंकि मैं जानता हूं उसी से ही मेरी पहचान है।
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