*सब कहते हैं तुम दरिया हो*
सब कहते है तुम दरिया हो।
मेरे आँसू भी भर लोगे क्या?
मेरी रातें अब तक तन्हा है।
उन रातों को भर दोगे क्या?
सब कहते है तुम दरिया हो.......
मैं एक आवारा राही हूँ।
मुझे बाहों में भर लोगे क्या?
सब कहते है तुम दरिया हो।
मुझे अपना-सा घर दोगे क्या?
सब कहते हैं तुम दरिया हो.......
मैं भीड़ में खोया काफ़िर हूँ।
मेरी ख़ामोशी पढ़ लोगे क्या?
सब कहते हैं तुम दरिया हो।
मुझे कहने का हक़ दोगे क्या?
सब कहते हैं तुम दरिया हो......
मैं एक सहमा-सा बालक हूँ।
मुझे माँ का आँचल दोगे क्या?
सब कहते हैं तुम दरिया हो।
मुझमें साहस भर दोगे क्या?
सब कहते हैं तुम दरिया हो......
मैं एक सूना-सा बादल हूँ।
मुझमें बारिश भर दोगे क्या?
सब कहते हैं तुम दरिया हो।
मुझे आसमान कर दोगे क्या?
सब कहते हैं तुम दरिया हो.......
लेखक---पारस चौहान
Good
ReplyDeleteHilarious writer and hillarious creation
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ... 👌👌👌👌
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